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दिल्ली हिंसा : कुछ बेगुनाह लोगो की कहानी जो भीड़ के पागलपन का शिकार हुई , रुला देगी इनकी कहानी

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जल गई दिल्ली 


क्या वो दंगाई थे या फिर सीएए के विरोधी या समर्थक? सड़क को आग का दरिया बनाने का काम क्या इन्होंने ही किया था? क्या सच में उन्हें सीएए से कुछ लेना देना भी था? शायद नहीं!


24 और 25 फरवरी को दिल्ली ने 'पागलपन' देखा और चारों तरफ फैली नफरत की आग में 42 लोग हमेशा के लिए अपनों से जुदा हो गए। हर कोई यह जानना चाहता है कि आखिर ये लोग कौन थे? दंगे मैं जिन लोगो की पहचान हो पाई है उन लोगो की आपबीती रुला देगी । बाकियों के अपनों की निगाहें तो अभी भी उन्हें ढूंढने में लगी हुई हैं। 


ये वह कुछ लोग हैं , जो दोनों ओर से सुलगी नफरत की आग में बिना किसी कसूर के जलकर खाक हो गए। कोई मजदूरी कर अपने परिवार का पेट पालता था, तो कोई पढ़-लिखकर बड़ा अफसर बनने के सपने संजोए हुए था। कोई दिनभर नौकरी कर अपने बच्चों के पास लौट रहा था। 


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अंकित शर्मा : 25 साल के अंकित खुफिया विभाग आईबी में थे और काम से घर लौट रहा थे। बाद में चांदबाग से उनका शव मिला, जिस पर चाकू के सैकड़ों घाव थे। 


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मुशर्रफ़ की पत्नी जिसके आँसू नही रुक रहे 

मुशर्रफ : पेशे से ड्राइवर बदायूं के 35 वर्षीय मुशर्रफ का शव नाले से बरामद हुआ। कर्दमपुरी में पत्नी और तीन बच्चों के साथ रहता था। मुशर्रफ की पत्नी मल्लिका के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे।



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रतन लाल : राजस्थान के सीकर से संबंध रखने वाले रतन लाल दिल्ली पुलिस में हेड कॉन्स्टेबल थे। दंगाइयों का सामना करते हुए उन्होंने अपनी जान गंवा दी। 


महरूफ अली : बिजली के सामान की दुकान करने वाले महरूफ के सिर में गोली लगी। 


मुबारक अली : पेशे से पेंटर 35 साल के मुबारक अली दंगे वाले दिन भजनपुरा में काम के बाद घर के लिए रवाना हुए, लेकिन घर नहीं पहुंचे। तीन दिन तक अपने तलाशते रहे और बाद में दुखद सूचना मिली। मुबारक अली की दो बेटियां और एक बेटा है


आलोक तिवारी : 24 साल का आलोक तिवारी यूपी के हरदोई का रहने वाला था। गत्ते की फैक्टरी में काम करने वाला आलोक पत्नी और दो बच्चों के साथ करावल नगर में रहता था। तलाश में जुटे बड़े भाई को जीटीबी अस्पताल में उसका शव मिला। बड़े भाई को अभी भी यह विश्वास नहीं हो रहा है कि इतनी कम उम्र में उसका छोटा भाई दुनिया से चला गया। 


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अश्फाक हुसैन के रिश्तेदार

अश्फाक हुसैन : 22 साल के अश्फाक की इसी 11 फरवरी को शादी हुई थी। पेशे से इलेक्ट्रिशियन अश्फाक के पेट में पांच गोलियां मारी गईं। 


राहुल ठाकुर : परिवार में सबसे छोटे राहुल की छाती में गोली लगी थी। एंबुलेंस नहीं मिली तो 23 साल के राहुल को स्कूटी पर बैठाकर डॉक्टर के पास ले जाया गया। अस्पताल पहुंचते-पहुंचते उसने दम तोड़ दिया। राहुल सिविल सर्विस की तैयारी करने में लगा हुआ था। 


सुलेमान : हापुड़ के रहने वाला सुलेमान दिल्ली आकर मोची का काम करता था। सोमवार को ही वह लापता हो गया। गुरुवार को उसके भाई को जीटीबी अस्पताल में उसका शव मिला। 


संजीत ठाकुर : खजूरी में पत्नी और दो बच्चों के साथ रहने वाला 32 साल का संजीत एक वेल्डिंग यूनिट में काम करता था। घर लौटते वक्त पत्थरबाजी में फंस गया। 


अकबरी : 85 साल के बुजुर्ग का घर दंगाइयों ने जला दिया। यह सदमा उन पर भारी पड़ा। 


दिनेश कुमार : पेशे से ड्राइवर 35 साल का दिनेश 7-8 घंटे वेंटिलेटर पर रहा, लेकिन गुरुवार सुबह मौत हो गयी।


अनवर : शिव विहार में रहने वाले 58 साल के अनवर का पोल्ट्री फॉर्म था। रिश्तेदारों के मुताबिक अनवर को इस कदर जला दिया गया था कि पहचानना भी मुश्किल हो गया था। पैर के निशान से पहचान की गई। 


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मोहम्मद इरफान की माँ 

मोहम्मद इरफान : इरफान की मां के आंसू सूखने का नाम नहीं ले रहे हैं। 32 साल का इरफान मजदूरी कर बमुश्किल 8000 महीना कमाकर परिवार चलाता था। 


विनोद कुमार : अरविंद नगर निवासी 50 वर्षीय विनोद कुमार अपने बड़े बेटे नितिन के साथ घर लौट रहे थे तभी भीड़ ने हमला कर दिया। बेटा तो बच गया, लेकिन पिता को मार डाला और बाइक भी फूंक दी गई। 


वीर भान : 48 साल के वीरभान का करावल नगर में अपना कारोबार था। सोमवार को दंगाइयों ने उनके सिर में गोली मारी जिससे उनकी मौत हो गई ।


जाकिर : बृजपुरी निवासी 26 साल का जाकिर पेशे से वेल्डर था। भीड़ हिंसा में उसके सिर में गोली लगी और पेट में काफी चोटें आईं। 


इश्तियाक खान : वेल्डिंग मशीन बनाने वाला 24 साल का इश्तियाक कृदमपुरी का रहने वाला था। परिवार में डेढ़ साल का बेटा है और तीन साल की बेटी। पेट में गोली लगने की वजह से मौत हुई। 


दीपक कुमार : 34 साल का दीपक झिलमिल की एक निजी फैक्टरी में काम करता था। परिवार में पत्नी के अलावा बेटा और बेटी है। दंगाईयो ने उनके सिर में गोली मार के हत्या कर दी । 


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राहुल सोलंकी के रिश्तेदार

राहुल सोलंकी : 26 साल का राहुल सिविल इंजीनियरिंग की तैयारी कर रहा था। साथ ही निजी कंपनी में काम करता था। अप्रैल में बहन की शादी थी, लेकिन उससे पहले ही गोली लगने से वह मारा गया।


मोहम्मद शाहबाज : उम्र 22 साल थी। वह अपनी वेल्डिंग की दुकान को बंद कर लौट रहा था। मगर दंगाइयों ने उसे मारने के साथ उसकी दुकान भी फूंक दी। 


परवेज आलम : घोंडा के रहने वाले 50 साल के परवेज का वजीराबाद में अपना मोटर गैराज था। मंगलवार को हुई हिंसा में उनके पेट में गोलियां लगीं। 


महताब : 21 साल के महताब को मंगलवार को भीड़ ने मार डाला। शव पाने के लिए परिजनों को दो दिन तक इंतजार करना पड़ा। 


मोहम्मद फुरकान : यूपी से तालुक्क रखने वाला 32 साल का फुरकान शादी के डिब्बे डिजाइन करता था। जो बेचारा दंगो मैं मारा गया ।


मुद्दसिर खान : दो बच्चों का पिता ऑटो चलाकर परिवार का पेट भरता था। जो इन दंगाईयो के भेट चढ़ गया ।


शाहिद अल्वी : चार महीने पहले ही शादी की हुई थी। ऑटो चलाने वाले शाहिद के पेट में दंगाईयो ने पेेेट मैं गोली मार के हत्या कर दी ।


अमन : अमन को लोकनायक अस्पताल लाया गया। कुछ वकीलों का कहना है कि सीलमपुर में वह अपनी मां के साथ सीएए विरोधी धरने पर बैठा था। 


मोहम्मद यूसुफ : मुस्तफाबाद में 52 वर्षीय यूसुफ बढ़ई का काम करते थे। वह नोएडा से लौट रहे थे तभी भीड़ का शिकार हो गए। 


मुबारक : बिहार के मधुबनी से यहां आकर दिहाड़ी मजदूरी करने वाले 28 साल के मुबारक की मौत मंगलवार को हुई हिंसा में हो गई। छोटे भाई का कहना है कि एक निर्माणाधीन इमारत में मजदूरी करने के बाद अपने घर भजनपुरा लौट रहा था। तभी रास्ते में दंगाई मिल गए, तीन गोलियां मारी, एक छाती में जा लगी।


आमिर और हाशिम : मुस्तफाबाद में रहने वाले आमिर (30) और हाशिम (17) बुधवार से ही लापता थे। गुरुवार को दोनों के शव अस्पताल में मिले। 


दिलबर नेगी : 20 साल के दिलबर नेगी के जले हुए शव को बमुश्किल पहचाना गया। उत्तराखंड के पौड़ी से आकर वह शिव विहार की मिठाई की दुकान में वेटर का काम करता था। दंगाइयों ने दुकान के साथ उसे भी जला दिया। 


बब्बू सलमानी : 33 साल का बब्बू ऑटो चलाता था। सुबह घर से काम पर निकला था, लेकिन दोपहर के खाने के लिए नहीं लौटा। घर से बमुश्किल 300 मीटर की दूरी पर बब्बू की लाश मिली। 


मोनीस : मुस्तफाबाद के रहने वाले 21 साल के मोनीस के शव की पहचान तीसरे दिन जाकर हुई। वह अपने एक रिश्तेदार के साथ मंगलवार शाम को घर वापस लौट रहा था, लेकिन परिजन इंतजार करते ही रह गए। 


अय्यूब : कूड़ा बीनने वाले 60 अय्यूब को उसका बेटा अस्पताल लेकर आया। शिव विहार में शुक्रवार तड़के भीड़ ने उसे पीट—पीटकर मार डाला। 


फैजान : कर्दमपुरी के रहने वाले फैजान की पहचान गुरुवार सुबह हुई। उसे गोलियां मारी गई थीं। 



Trilok prajapat 🙏🙏

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